Thursday, April 1, 2010

मेरी मधुशाला !!!!!!!!

कभी लक्ष्य को प्रेरित करती,
राह दिखलाती है हाला ...
कभी प्रेम से पास बुलाती,
मन बहलाती साकीबाला ...
हूँ इस असमंजस में ,
किस रूप को मै स्वीकार करू ...
कभी प्रेरक , कभी विदूषक
लगती मुझको मधुशाला .......







लाख भुलाना चाहू
पर मै भूल नहीं पाता हाला..........
लाख भुलाना चाहू
पर मै भूल नहीं पाता प्याला...........
भूतकाल की निष्टुर यादे,
कब पीछा मेरा छोड़ेगी ...........
एक पग बढने पर
दो पग पीछे लाती मधुशाला .........








बहुतेरे प्रयत्न किये पर
पा न सका साकीबाला...........
बहुतेरे संघर्ष किये पर
पा न सका मधु का प्याला.........
मदिरा से मोह भंग हुआ
तो कर्तव्यों का भान हुआ........
"कर्त्तव्य परक मानव जीवन "
का पाठ पढाती मधुशाला ........







फूट फूट के रोया था
जब टूटा था मधू का प्याला .........
बाकी प्यालो की मस्ती से
था अनजाना मतवाला ............
टूटे प्यालो के पीछे छिपी
मस्ती का आभास किसे.........
हर हार के पीछे लिए खड़ी है
चार सफलता मधुशाला ..........









प्रथम बार जब पीना चाहा,
पी न सका तब मै हाला ...
प्रथम दिवस जब छूना चाहा ,
छू न सका मधु का प्याला ....
प्रथम प्रेम प्रस्ताव मेरा ,
साकी ने अस्वीकार किया ...........
पूछ परख कर ही अपना
जीवन साथी चुनती मधुशाला ................

2 comments:

Unknown said...

abe tu apne original bhi post karna shuru kar.

Jayant said...

bhai ye meri hi hai
madhushala se inspire hokar maine hi likhi hai